टोडारायसिंह में आवारा पशुओं का आतंक
पालिका प्रशासन ने नही ली कोई सुध – एसडीएम को सौंपा गया ज्ञापन,
आवारा सांड के हमले से गई एक जान
कस्बे की गलियों और मुख्य मार्गों पर दिन–रात आवारा सांड और मवेशियों का जमावड़ा देखा जा सकता है। कभी यह झुंड दुकानों और ठेलों पर टूट पड़ते हैं, तो कभी सड़क पर खड़े वाहनों को नुकसान पहुंचा देते हैं। राहगीरों के लिए यह मवेशी खुले खतरे में तब्दील हो चुके हैं। खासकर महिलाएं और स्कूली बच्चे हर रोज़ इनके बीच से निकलने को मजबूर हैं।
आवारा सांड के मारने से हुई मौत के हादसे से गुस्से
में जनता
कस्बे में हुई
मौत की इस घटना में एक आवारा सांड के हमले से कस्बे के एक निर्दोष व्यक्ति अब्दुल
हमीद अंसारी की मौत हो गई। घटना के बाद मोहल्ले और आसपास के इलाके में शोक और ग़ुस्से का माहौल है। लोगों का कहना है कि यह कोई पहला
हादसा नहीं है। पिछले कई महीनों से छोटे–बड़े हादसे
लगातार हो रहे हैं, लेकिन पालिका प्रशासन नींद से जागने को तैयार ही नहीं।
एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
घटना से
आक्रोशित नागरिकों ने गुरुवार को
ईमाम चौक, अंसारी मोहल्ला से एकजुट होकर रैली निकाली और एसडीएम कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन
सौंपा। ज्ञापन में साफ़ लिखा गया कि:
- पालिका
प्रशासन आवारा पशुओं की धरपकड़ में
पूरी तरह
विफल साबित हुआ है।
- हर मोहल्ले, हर गली में सांड और मवेशी आतंक मचाए घूमते हैं।
- सड़क
सुरक्षा नाम की कोई व्यवस्था नहीं बची है।
- यदि शीघ्र
कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो नागरिक
तेज़
आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
जनता की आवाज़ – “अब सहन नहीं”
स्थानीय
नागरिकों ने कहा कि पालिका प्रशासन सिर्फ़ काग़ज़ों में योजनाएँ बनाता है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई काम नहीं होता।
अरवा न्यूज़ संवाददाता
ने ज्ञापन देने आए लोगों से पालिका के इस उदासिनता रवैये को लेकर सवाल पूछा तो उन्होने
कहा:
“पालिका की
नाकामी से आज एक परिवार से पिता का साया उजड़ गया है। अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई
तो आने वाले दिनों में और हादसे होना तय है।”
प्रशासन पर सवालिया निशान ?
कस्बे के लोगों
का सवाल है कि पालिका के पास कर्मचारियों और बजट दोनों हैं, फिर भी आवारा पशुओं पर नकेल क्यों नहीं कसी जाती? हर साल लाखों रुपये खर्च दिखाए जाते हैं,
लेकिन नतीजा ढ़ाक के तीन पात वाली कहावत ही चरितार्थ
होती है ।
“या समाधान होगा,
या आंदोलन होगा”
ज्ञापन के ज़रिए
नागरिकों ने प्रशासन को अल्टीमेटम दिया है कि अब और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की
जाएगी। जनता का साफ़ कहना है:
“आवारा पशुओं से
अगर जल्द निजात नहीं मिली तो टोडारायसिंह की सड़कों पर बड़ा आंदोलन होगा। या तो
समाधान होगा, या आंदोलन होगा।” इन सब का जिम्मेदार प्रशासन खुद होगा।
टोडारायसिंह में आवारा पशुओं का आतंक अब जानलेवा मोड़ ले चुका है। पालिका प्रशासन की उदासीनता और लापरवाही पर जनता का ग़ुस्सा खुलकर सामने आ चुका है। इस बार सिर्फ़ ज्ञापन ही नहीं, बल्कि कस्बे की आवाज़ है –“पालिका जागे, वरना जनता जगाएगी!”
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-@-आदिल
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