आत्मनिर्भरता की और बढ़ता भारत I

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की शुरुआत के जरिए मशीनीकरण के इस दौर में केन्द्र सरकार ने देश मे हस्तशिल्प/दस्तकार और हाथ से काम करने वाले कारीगरों की सुध ली है साथ ही केन्द्र सरकार ने ये संकेत भी दिया है की वह देश के सामाजिक – सांसस्कृतिक ढांचे को और मज़बूत करना चाहती है I उम्मीद है की आज़ादी के बाद से अब तक हाशिये पर रहे हस्तशिल्प कारीगरों के लिये यह योजना वरदान साबित होगी I हस्तशिल्प वैसे भी सदियों से भारत की संस्कृति और समाज़ का अभिन्न अंग रहा है आधुनिकतावादी मशीनीकरण के इस दौर में भी मशीनों की भीड़ के बीच शहरों से गाँव – कस्बों तक हस्तशिल्प का अस्तित्व कायम है यहाँ तक की अब तो विदेशों में भी भारतीय हस्तनिर्मित उत्पादों को पसंद किया जा रहा हैं I हमारे कारीगर हाथों से जो शॉल, साड़ी, दरी, क़ालीन, कपड़ा बुनते है या मिट्टी से बने बर्तन बोतल, प्लैट, प्याले, मटके या लकड़ी के फर्नीचर के साथ दूसरी कलाकृतियां तैयार करते हैं उनकी देश के साथ साथ विदेश में भी काफी मांग है Iआत्मनिर्भरता की और बढ़ता भारत I

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का मकसद हस्तशिल्प कारीगरों के पारंपरिक कौशल को बढ़वा देना है I इस योजना के जरिये हस्तशिल्प कारीगरों को 500 रुपेये के भत्ते के साथ कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा I इसके अलावा उन्हें रियायति दरों पर बैंकों से तीन लाख़ रूपेये तक का लोन भी मिलेगा I इससे हस्तशिल्प कारीगरों की आत्मनिर्भरता के साथ साथ देश की अर्थव्यवस्ता को संबल मिलेगा I हमारे हस्तशिल्प उद्योग में शैली,गुणवत्ता और रचनात्मक उत्कर्षटा के कारण अपार संभावनाएँ है I अफ़सोस की बात तो यह है की अब तक हस्तशिल्प करीगरों की और कोई ध्यान नही दिया गया था I एक अनुमान के मुताबिक़ देश में तीन करोड़ से ज़्यादा शिल्पकार व बुनकर है I लेकिन हस्तशिल्प के अंतरराष्ट्रिय व्यापार में हमारा योगदान सिर्फ दो फीसदी है I हस्तशिल्प उत्पाद के अंतरराष्ट्रिय व्यापार में चीन हमारे से आगे है I बीते पाँच वर्षों में भारतीय शॉल, हाथ से बने आभूषणो, बर्तनो, कपड़ो और लकड़ी सामान के निर्यात में लगभग 50 से 55 प्रतिशत की बढ़ौतरी जरूर हुई है I हस्तशिल्प उत्पादों पर भारतीय बाजार के साथ साथ वैश्विक बाजार के विस्तार पर भी ध्यान देने की जरूरत है I इससे अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, युरोप जेसे देशों में भारतीय हस्तशिल्प उत्पाद की मांग बढ़ रही इन देशों में भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों की बढ़े पैमाने पर ख़रीद-फरोख्त की जा रही हैं I उम्मीद है की प्रधानमंत्री विश्वकर्मा की इस योजना से लुप्त होने की कगार पर पहुँचे हस्तशिल्प उद्योगों, दस्तकारों और उनकी कलाओं को फिर से जीवनदान मिलेगा I





     

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