राजस्व को पहुँचाया घाटा


आमजन को बिना सुचना दिये सहायक वन पालक ने दिया अपने चहेते को आपदा से त्रासद हुए पेड की लकड़ी काट कर ले जाने की स्वीकृति

राजस्व को पहुँचाया घाटा    

अरवा न्यूज़ सर्विस/टोडारायसिंह। उपखण्ड क्षेत्र टोडारायसिंह में स्थित प्राकृतिक जलाशय बुद्धसागर में असामाजिक तत्वों द्वरा बारिश के पानी की निकासी (चादर) को मिट्टी से भरे कट्टों, पत्थर की पट्टी व ईटें लगाकर पानी की निकासी को अवरुद्धि करने से घटित आपदा में त्रासद हुए बड़े भारी हरे दरख्तों को वन नाका टोडारायसिंह में सहायक वनपाल रामअवतार जाट ने आमजन में बिना सुचना दिये ही अपने चहेते को पेड की लकड़ी काट कर ले जाने की स्वीकृति दे दी। अरवा न्यूज़ के संवाददाता ने जब लकडहारे से पेड़ों की कटाई की स्वीकृति के बारे में जानना चाहा तो उसने कोई रशीद नही दिखाई और पेड़ों की कटाई अनवरत जारी रखी उक्त मामले को लेकर जब संवाददाता ने स्थानीय वन नाका में सहायक वनपाल से फोन पर बात करके पूछा की आपने उक्त व्यक्ति (लकडहारे) को पेड कटाई की स्वीकृति दी है या नही तो उन्होंने कहा की हमने 5 हजार की रशीद काट कर स्वीकृति दी है। फिर संवाददाता ने सवाल किया की आपने बिना आमजन को सूचित किये या मुख्य सुचना पट्ट पर कोई नोटिस चस्पा किये ही स्वीकृति केसे दे दी ? अगर उक्त मामले की आमजन में कोई सुचना दी जाती तो 5 हजार रुपये की बजाय 6 से 10 हजार रूपये तक में उक्त पेड़ों की लकड़ियाँ बिक जाती मगर सहायक वनपाल ने आमजन को सूचित किये बिना ही अपने चहेते को पेड काटकर ले जाने की स्वीकृति दे दी। और कहा की हमसे गलती हो गयी हमने आमजन कोई सूचना नही दी, जो हुआ सो हुआ, अगली दफा ध्यान रखेंगे। इतना कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया। जिसके चलते हुए राजस्व में तकरीबन 5 हजार रूपये का घाटा हुआ है अगर आमजन में उक्त मामले की सुचना दी जाती तो राजस्व में करीबन 5 हजार रुपयों का फायदा होता। और फायदे के पैसों से त्रासद हुए कुछ पेड़ों की जगह कहीं पेड-पौधे लगाये जा सकते थे, एक तरफ सरकार ‘एक पेड माँ के नाम’ अभियान चलाकर राजस्व के पैसों से जगह-जगह पेड-पौधे लगवाती है मगर दूसरी तरफ ऐसे भी कर्मचारी होते है जो राजस्व बढ़ाने की बजाय अपने चहेते को स्वीकृति देकर राजस्व में घाटा पहुंचाते है।

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