क्या फिर कभी कांग्रेस पार्टी सत्ता में लौट सकती है ?
अरवा न्यूज़ (आदिल आलम )
टोडारायसिंह । अगर कांग्रेस पार्टी में ऐसा ही चलता रहा तो कांग्रेस पार्टी सत्ता में फिर कभी भी वापस लौटने वाली नहीं लगती हैं। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता जैसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की जातियों के 80 प्रतिशत वोट भाजपा में चले गए और मात्र 20 प्रतिशत वोट कांग्रेस के पक्ष में आए हैं। दोनों ही नेता मुस्लिम बाहुल्य सीटों से जीतकर विधानसभा में आए हैं। यदि दोनों शीर्ष नेताओं (गहलोत और पायलट) की वर्तमान विधानसभा सीटे बदल दी जाए तो दोनों ही नेताओं का जीतना मुश्किल हो सकता हैं। फिर भी दोनों नेता मुख्यमंत्री की दौड़ में बने हुए थे। वहीं दूसरी तरफ देखें तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की जाति जाट समाज के करीब 60 प्रतिशत वोट कांग्रेस को मिले जिन्होंने राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की इज्जत बचाने का काम किया । गोविंद सिंह डोटासरा की विधानसभा सीट पर मात्र 20-25 हजार मुस्लिम वोटर हैं । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूरे पांच वर्ष ब्रह्मण, वैश्य और राजपूत समाजों को खुश करने के लिए उनके समाजों के थोक के भाव मंत्री, अध्यक्ष, चेयरमैन जैसे अन्य पदों पर नियुक्ति की लेकिन इन जातियों ने कांग्रेस को सिर्फ और सिर्फ 10 प्रतिशत वोट दिए और भाजपा को 90 प्रतिशत वोट दिए । कांग्रेस का परम्परागत वोट बैंक कहे जाने वाले समाज (दलित-किसान, अल्पसंख्यक, एवं पिछड़े वर्गों ) पर ध्यान नहीं दिया गया फिर भी इस वर्ग के समर्थन से कांग्रेस राजस्थान में 69 सीटे जीतने में कामयाब रही ।
परम्परागत वोट बैंक की तरफ देना होगा ध्यान
यदि कांग्रेस पार्टी को फिर से सत्ता में लोटना है तो उसे अपने परम्परागत वोट बैंक (किसान, पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) की तरफ ध्यान देने की जरूरत है । इस वर्ग के कार्यकताओं को संगठन में उच्च पदों पर नियुक्त करने की जरूरत है । यह वर्ग शुरू से ही कांग्रेस पार्टी को जिताने का प्रयास दिलोजान से करता रहा हैं और आगे भी कांग्रेस पार्टी को जिताने का प्रयास कर सकता हैं। कांग्रेस पार्टी में देखा जा रहा है कि ऐसे व्यक्ति और कार्यकताओं को नियुक्ति मिलने लगी है जिनकी विचारधारा कांग्रेस से मेल नहीं खाती है । यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी राज्यों से लेकर लोकसभा तक के चुनाव हारने लगी है । ऐसे में कांग्रेस पार्टी में उन्हीं कार्यकताओं की नियुक्ति करनी चाहिए जिनकी जाति और समुदाय कांग्रेस को वोट देने के साथ फिर से कांग्रेस को सत्ता पर काबिज कर सके।
मोदी-अमित शाह जैसी दिखानी होगी दृढ़ता
भाजपा केन्द्र और राज्य दोनों में लगातार चुनाव जीत रहीं है । भाजपा की जीत के पीछें उसके अपने संगठन की मजबूती है । भाजपा के संगठन में उस वर्ग के कार्यकताओं को ही नियुक्त की जाती है जो भाजपा की विचारधारा के लिए काम करता है । भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पार्टी के लिए मजबूत और समर्पित है जो पार्टी हित में कडे और दृढ़ निर्णय लेने में पीछें नही रहता । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी की मजबूती के लिए कड़े से कड़े निर्णय लिए हैं, जिसके कारण भाजपा मजबूत पार्टी बन सकी हैं । तथा भविष्य में और मजबूत पार्टी बन कर उबरने की सम्भावनाएं है । इन दोनो नेताओं ने पार्टी में स्वार्थी और काम नहीं करने वालें नेताओं को हाशिये पर धकेल दिया है । इन दोनों नेताओं (मोदी और शाह) की हिम्मत है जो पार्टी हित में चुनाव नहीं जीतने वाले भाजपा नेताओं की टिकिट काटने से नहीं चूकते हैं । जबकी कांग्रेस में सबकुछ इसके उल्ट है जहाँ स्वार्थ और कुर्सी लिए काम किया जाता है ।
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