विधायक कन्हैया लाल चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाने की उठने लगी मांग

आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 पर होगा फोकस, ओबीसी या दलित समुदाय पर दांव
ऐसे में उम्मीद है कि बीजेपी राजस्थान में ओबीसी या दलित समुदाय के अलावा अगड़ी जाति पर भी दांव लगा सकती है । राजस्थान में अभी तक सीएम के चेहरे को लेकर वसुंधरा राजे और बाबा बालकनाथ की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही थी । लेकिन फिलहाल दोनों ही नेता इस रेस से बाहर होते नजर आते दिख रहे हैं । ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि दोनों नेताओं के एक्शन से ये संकेत मिल रहे हैं । विधायक दल की बैठक से पहले राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाल ही में भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी । इसके बाद उनके समर्थक विधायक उनसे मिलने के लिए आवास पर पहुंचे थे । देर रात तक विधायकों से मेल मुलाक़ात व मंत्रणा का सिलसिला जारी रहा था । वहीं दूसरी ओर बाबा बालकनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने एक ट्वीट से बड़े संकेत दिए थे । जिससे राजस्थान की सियाशी राजनीती में खलबली मच उठी । उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था 'पार्टी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनता-जनार्धन ने पहली बार सांसद व विधायक बना कर राष्ट्रसेवा का अवसर दिया. चुनाव परिणाम आने के बाद से मीडिया व सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं को नजर अंदाज करें, मुझे अभी प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में अनुभव प्राप्त करना है।' इन दोनों नेताओं के अलावा, किरोड़ी लाल मीणा, राज्य वर्धन राठौड़, गजेंद्र सिंह शेखावत, अश्विनी वैष्णव, ओम बिरला, अर्जुन राम मेघवाल, सीपी जोशी और दीया कुमारी का नाम शामिल है ।
जाट समुदाय से आज तक नहीं बना सीएम
आपको ये भी बताते चलें कि राजस्थान में सबसे बड़ी आबादी होने के बाद भी जाट समुदाय से अभी तक कोई भी नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंचा है । भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों से जाट समुदाय के नेताओं के नाम तो कई बार उछल कर सामने आए लेकिन ऐन वक्त पर उन के नामों पर विचार छोड़ दिया गया । हालांकि दोनों ही दल जाट समुदाय के नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नियुक्त करते रहे हैं । लेकिन बात जब मुख्यमंत्री की आती है तो इस समुदाय के हाथ खाली रह जाते हैं । कई पल ऐसे भी आए जब जाट समुदाय से राजस्थान में मुख्यमंत्री बन सकता था । पर अपनी ही जाति के विधायक दुश्मन बन गए और आखरी समय में निर्णय बदल गया । बात चाहे 1998 में परसराम मदेरणा की हो या 2008 में शीशराम ओला की हो या इससे पहले रहे दोनों पार्टियों में जाट समुदाय के कद्दावर नेताओं की, जाट समुदाय से कई नेता अपने समय पर सीएम पद के दावेदार थे । लेकिन उन्हें विधायकों का समर्थन हासिल नहीं हुआ । इस बार फिर किसी जाट नेता को सीएम बनाने की मांग उठी है । शायद इसीलिए कुछ दिन पहले ट्विटर पर एक हैशटैग #राजस्थान मांगे जाट सीएम टॉप ट्रेंड कर रहा था । आपको बता दें कि राजस्थान में जाट समुदाय अधिकतर सीटों पर निर्णायक की भूमिका निभाते हैं । खैर जो भी हो लेकिन राजस्थान में अभी तक मुख्यमंत्री के पद का नाम साफ नही हो पाया है । राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में कहीं नाम सामने आ रहे हैं जिसके चलते सीएम चुनने की स्थिति असमंजस में बनी हुई है । राजस्थान में भाजपा के अध्यक्ष द्वारा मुख्य मंत्री चयन को लेकर केन्द्रीय पर्यवेक्षक के रूप में आ रहे केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा राज्यसभा सांसद सरोज पांडे व राष्ट्रिय महासचिव विनोद तावडे की राजधानी जयपुर में आने की सम्भावना बनी है तथा इनके नेतृत्व में विधायक दल की बैठक आयोजित होगी । जिसमे मुख्मंत्री व डीप्टी सीएम सहित अन्य विषय के बारे में विस्तार रूप से चर्चा की जाएगी । इसी दौर के साथ मुख्मंत्री की दौड़ में नये नामों की चर्चा जोर शोर से हो रही है । विधायक दल की बैठक के बाद ही नये मुख्य मंत्री को लेकर तस्वीर साफ हो जायेगी । वहीं अब तक जाट समुदाय से राजस्थान की राजनीती में एक भी जाट मुख्यमंत्री नही बनने से जाट बाहुल क्षेत्र व समुदाय द्वारा जाट सीएम की मांग की जाने लगी है । ऐसे में टोंक जिले के मालपुरा- टोडारायसिंह विधानसभा क्षेत्र की जनता द्वारा भी मालपुरा- टोडारायसिंह विधानसभा कि सीट पर लगातार तीन बार जीतते आ रहे भाजपा के विधायक कन्हैया लाल चौधरी को अबकी बार क्षेत्र की जनता जनार्दन द्वारा उप मुख्यमंत्री व मंत्री पद पर विराजमान होने की उम्मीद व आशा लगायी जा रही है । इस मांग को लेकर क्षेत्र में आम जन द्वारा चाय, पान की दुकानों थडियों, गली मोहल्लों व शहर के मुख्य चौराहों पर चर्चाएं गर्म जोश के साथ हो रही है। हालाँकि इन सभी बातों का आखरी फैसला पार्टी के आला कमान के हाथों में है । उम्मीद है की जल्द ही इस पर फैसला आने वाला है । अब देखना ये होगा कि राजस्थान में किस प्रत्याशी के हातों की लकीरों में यह भाग्य जोर मार रहा है । यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा की सीएम के तख्त पर कौन भाग्यशाली विराजमान होता है ।
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