में ‘गाज़ा’ बोल रहा हूँ ?
अरवा न्यूज़ /(आदिल आलम)

हाँ में वो ही गाज़ा बोल रहा हूँ जहाँ कभी मेरे दामन में भी अमन, आराम, चैन व खुशहाली हुआ करती थी । सोचिए मेरे 40 किलोमिटर की गाज़ा पट्टी में करीब 23 लाख लोग रहते हैं । संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुमान के मुताबिक मेरे 58% निवासियों को मानवीय सहायता की जरूरत है जबकि 29% परिवार विनाशकारी परिस्थितियों में जी रहे हैं । जल प्राधिकरण का कहना है कि मेरे पास 90% से ज्यादा पानी पीने के लिए उपयुक्त नहीं है वही और औसत बेरोजगारी दर 46% है और युवाओं में यह अभी भी 70% से ज्यादा है । मैं आज जंग के दौर में हूं, और मेरी इस हालत की वजह भी इतिहास में हुई जंग ही है । 1914-18 के बीच हुए प्रथम विश्व युद्ध के पहले में फिलीस्तीन के नाम से जाना जाता था । मैं ऑटोमन साम्राज्य के अधीन था, ऑटोमन साम्राज्य एक तुर्क साम्राज्य था आज का तुर्की तब इसका विस्तार दक्षिणी पूर्वी यूरोप पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका तक माना जाता था तब तक इसमें मैं भी आता था लेकिन दुनिया के देशों के बीच जंग हुई और जीत ब्रिटेन की हुई फिलीस्तीन पर ब्रिटिश का कब्जा हो गया फिर ब्रिटेन ने ऐलान किया कि फिलीस्तीन की जमीन पर रह रहे अल्पसंख्यक यहुदी लोगों के लिए अलग देश बनाने की जरूरत है दसकों से यहां फिलीस्तीनी रह रहे हैं लेकिन धीरे-धीरे मसला जमीन का बन गया और केंद्र में आया मेरा एक खुबसूरत शहर यरुसलम जिसकी मान्यताओं की बात करें तो तीन धर्म इस्लाम, ईसाई और यहूदी तीनों की जड़े पैगम्बर ईब्राहिम / अब्राहम से जुड़ती है ये तीनों ही यरुसलम को अपना पवित्र स्थान बताते हैं । यहुदियों यानी इजराइल वासियों का मानना है कि उनकी मजहबी किताब के अनुसार उनके पूर्वज यहीं रहा करते थे इसलिए उन्हें ये जमीन मिलनी चाहिए तो इस्लाम कहता है कि ये हमारे तीन सबसे पाक जगहों में से एक है । लेकिन इतिहास में झांकें तो ब्रिटेन की घोषणा के बाद धीरे-धीरे यहुदियों की संख्या बढ़ती चली गई 29 नवम्बर 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक प्रस्ताव के तहत ब्रिटिश शासन के अधीन फिलीस्तीन को यहुदी और अरब राज्यों में विभाजित करने का फैसला किया हांलांकि यरुसलम को संयुक्त राष्ट्र के नियंत्रण के अधीन रखा गया साल भर भी नहीं हुआ कि इजराइल ने अपनी आजादी का एलान कर दिया 14 मई 1948 को यहुदी एजेंसी के प्रमुख डेविड बेनगोरियन ने इजराइल राज्य की स्थापना की घोषणा तक कर दी और तो और अमेरिका जैसे बड़े देश के राष्ट्रपति हेरीएस ट्रूमैन ने उसी दिन नये राष्ट्र को मान्यता भी दे दी । इजराइल की आजादी को लेकर घोषणा के 24 घण्टे के अंदर ही अरब देशों की संयुक्त सेनाओं ने उस पर हमला कर दिया । जिसमें मिस्र, इराक, जॉर्डन लेबनान सीरिया शामिल रहे । जंग 1 साल तक चली इजरायल की जीत हुई इस जंग के बाद ही मेरी यानी गाज़ापट्टी की सीमाएं अस्तित्व में आई । जंग में मिश्र की सेना ने मुझ पर कब्जा कर लिया इसके बाद करीब 2 दसकों तक मुझ पर मिश्र का नियंत्रण रहा । और फिर 1967 में जंग हुई और इजराइल ने मुझे मिस्र से छीनकर मुझ पर अपना कब्जा कर लिया एक के बाद एक जंग होती ही रही इसी दौरान फिलिस्तीन का यह इलाका एक हिस्सा वेस्ट बैंक दूसरा हिस्सा गाज़ापट्टी में बंट गया । पहले अधिकतर हिस्सा मेरे पास यानी गाज़ा के पास था लेकिन धीरे-धीरे इजराइल ने मेरे जमीन पर अपनी कालोनियां बसाना शुरू कर दीया और मेरी कई जगहों पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया मेरे एक बड़े हिस्से पर इजराइल का कब्जा हो गया और एक छोटा हिस्सा मेरे नाम पर रह गया बस इसके बाद विवाद पर विवाद, हिंसा और इजरायली सेना का दमन झेला । इस प्रताड़ना के बीच मेरी जमीन पर हमास का जन्म हुआ और उसने जमीन के सवाल पर इजराइल के खिलाफ हथियार उठा लिए साल 2006 में हमास ने चुनाव जीता और फिलिस्तीन प्राधिकरण को हटाकर मुझ पर पूरी तरह से नियंत्रण पा लिया उधर वेस्ट बैंक में फिलिस्तीन प्राधिकरण ने सत्ता संभाली जिसे इजराइल समेत दुनिया भर के देशों ने मान्यता दी थी । संयुक्त राष्ट्र के रिपोर्ट के अनुसार इजराइल के साथ हुई छोटी बड़ी हिंसा के वजह से 2008 से 2021 के बीच कम से कम 5739 फिलिस्तीनी और 251 इजराइली मारे गए लाखों फिलिस्तीनी और हजारों इजरायली घायल हो गए आज फिर से मैं एक और जंग को देख रहा हूं । एक बार फिर मैं अपनों को मरते हुए देख रहा हूं, मुझे नहीं पता आप किसके साथ खड़े हैं, किसे खारिज कर रहे हैं, और किसका समर्थन कर रहे हैं, लेकिन मैं एक बार फिर नरक में आ पहुंचा हूं । मैं गाज़ा बोल रहा हूं क्या मुझे कोई सुन रहा है।