इज़राइल फिलिस्तीन जंग की असली वज़ह I

 इज़राइल फिलिस्तीन जंग की असली वज़ह  

आख़िर क्यों छुपाती है दुनिया इज़राइल की यह हक़ीकत 

@आदिल आलम

फिलिस्तीन जो कभी सम्पुर्ण एक देश हुआ करता था आज उसे इजराइल द्वारा वहां स्थित गाजा नाम के एक शहर में कैद कर के रख दिया गया है जिसकी लम्बाई लगभग 41 किलोमीटर चौड़ाई लगभग 6 से 12 किलोमीटर है इतने छोटे से इलाके में 20 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं इनमे से 50% बच्चे है 70% यूथ यहाँ का बेरोजगार है, इस इलाके में बाहर से आलू, प्याज, अदरक और यहाँ तक की चिप्स जेसी मामूली जरूरत का सामान भी नही लाया जा सकता है I 90% लोगों को साफ पानी तक नसीब नही है इलाके के 2 तिहाई मतलब 66% से ज्यादा लोग अपने ही देश में रिफ्यूजी बने हुए हैं I यहाँ पैदा हुए हर बच्चे को इजराइल अथ्योरिटी के पास रजिस्टर करवाना पड़ता है नही तो उसकी कोई पहचान नही होगी और वो कभी भी गाजा पट्टी के बहार नही जा सकेगा I  इसके पूर्व और उत्तर में इजराइल है और पश्चिम में भूमध्य-सागर है दक्षिण में मिश्र (इजिप्ट) है साल 1994 में इजराइल ने गाजा के साथ 60 किलोमीटर लम्बा एक बोर्डर बना लिया और धीरे-धीरे इसे उन्नत करता रहा I इस बोर्डर की दीवारें 7 मीटर से भी ज्यादा ऊँची है इस दिवार में सेंसर लगे हुए हैं I रिमोर्ट कंट्रोल मशीन गन लगी हुई है I और कोई सुरंग ना बना सके इसलिए बहूत गहरी खायी खोद कर दिवार बनाई गयी है I एसा नही है की पश्चिम की तरफ समुन्द्र है तो वहां से गाजा के लोग आ जा सकते हैं I सामान ला सकते हैं I व्यापार कर सकते हैं बल्कि उसे भी इजराइल नियन्त्रण करता है I पिछले 16 सालों से इजराइल ने गाजा के लोगों को इस इलाके में कैद कर के रखा है I इस बोर्डर की वजह से गाजा के लोगों का मेडिकल ट्रीटमेंट भी बमुश्किल हो पता है क्योंकि वेस्ट बैंक के इलाके में गाजा के मुकाबले स्थिति थोड़ी बेहतर है लेकिन वहां जाने के लिए भी सेक्युरिटी से गुजरना पड़ता है और अक्सर लोगों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ता है I गाजा के लोग वेस्ट बैंक में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से मिलने को भी तरस जाते हैं I जबकि ये पूरा इलाका एक वक्त पर उनका ही था I उपर से इजराइल इन्ही इलाकों में बमबारी करता है I घनी आबादी वाली जगह है तो अक्सर सिविलियन की मौत की भी खबरें आती है सिविलियन ही नही जो इनकी आवाज सुनने जाते हैं उन पत्रकारों की भी मौत की खबरें आती है पत्रकार ही नही जो लोग घायलों की मदद करने के लिये इस इलाके में जाते हैं उनको भी निशाना बनाया जाता है I खुलेआम इजराइल अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की धज्जियां उडाता है लेकिन कोई कुछ नही बोलता है I हमास के बेगुनाहों के हमले बाद एक ही सुर में कही सारी पश्चिमी ताकतों ने इसे आतंकवाद कहा, हमले की निंदा की और करनी भी चाहिए I कितने बेगुनाह लोग मरे जा रहे हैं वो हम और आप लोग देख रहे हैं लेकिन इस हमले के बाद क्या होगा I और लोग गाजा पट्टी में हथियार उठाएंगे, हमास और मजबूत होगा, और इजराइल फिर भयंकर तरीके से इन पर अटैक करेगा और मासूम लोग मरेंगे और ये चक्कर चलता रहेगा जैसे ये चक्कर चलता आ रहा है I लेकिन आतंकवाद, और सही गलत के चश्में से हटकर देखिये की असल समस्या क्या है ? और कौन इसे रोक सकता है ? जब हमास नही था तब क्यों फिलिस्तीन के लोगो को निशाना बनाया जाता था ? क्यों हजारों की संख्या में फिलिस्तीन के लोगों को जेलों में रखा गया है ? कहा जाता है की इजराइल मिडिल ईस्ट का इकलौता डेमोक्रेटिक देश है लेकिन जब फिलिस्तीन में चुनाव हुए तो उनकी सरकार को मान्यता क्यों नही मिलती ? यूएन का प्लान क्या था ? और किसने किसकी जमीन हड़प ली ? आइये जानते है विस्तार से

Palestinian Loss of Land 1947 to Present

हजारों साल पहले जहां आज इज़राइल है वहां एक इलाका हुआ करता था केनान नाम से उस इलाके में यहूदी धर्म के मानने वाले लोग रहते थे और यह इलाका किंगडॉम आफ जुडा के अंतर्गत आता था लेकिन 586 BCE (Before Common Era) बेबीलोनिया इम्पायर के एक राजा यानि नबुकदनेस्सर राजा द्वितीय ने किंगडॉम ऑफ़ जुड़ा को हरा कर यरूशलम पर कब्जा कर लिया और ज्यूज यानी यहूदियों को वहां से भगा दिया ज्यूज यहां से भाग कर आज जहां इराक़ है वहां पर किसी तरह एक जिंदगी जीने लगे लगभग 70 साल तक वहाँ रहने के बाद 538 BCE में परसिया के एक राजा सायरस ने ज्यूज को वापस उनके होमलैंड के इलाके में जाने की इजाजत दी और यरुशलम में एक मंदिर भी बनवाया इसे सेकंड टेंपल पीरियड कहा जाता है इसके बाद से ज्यूज वहां रह रहे थे लेकिन 70 CE में ज्यूज के उपर फिर से हमला किया गया रोमन इम्पायर के सम्राट टेय्ट्स के द्वारा ज्यूज के शहरों, घरों, और मन्दिरों को तबाह कर दिया गया इसे इतिहास में सीज ऑफ़ यरुशलम भी कहा जाता है I ज्यूज को मारा गया, भगाया गया, और उनको गुलाम तक बनाया गया जिसके बाद ज्यूज दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जा कर बसने लगे I लेकिन जहाँ जिस देश में भी वे बसे माइनोरिटी थे और उन्हें अपने अलग धर्म, अलग संस्कृति की वजह से परेशानिया झेलनी पड़ी जिसकी वजह से कहीं प्लेग फेला तो इसका जिम्मेदार वहां रहने वाले ज्यूज को बताया गया, (आपको याद होगा हमारे यहाँ भी कोरोना के वक्त कुछ लोग माइनोरिटी के एक तबके को जिम्मेदार मान रहे थे) तो ज्यूज अलग-अलग देशों में रहने लगे क्योंकि की उनके पास जमीनें तो थी नही उनके पास व्यापर करने के अलावा और कोई चारा था नही रोजी रोटी कमाने का तो वह व्यापर करने लगे और धीरे-धीरे व्यापर से पैसे बनाने लगे I उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती गयी और लोग उनसे छिड़ने भी लगे और कंही अफवायें भी उडाने लगे की वे क्रिश्चन बच्चों का खून पि जाते है वगैरह-वगैरह I उनके खिलाफ दुनिया के कई देशो में भेदभाव वाले कानून बने उन्हें जमीन खरीदने का आधिकार नही था वगैरह-वगैरह  साल 1492 ज्यूज को फिर स्पेन के इलाके से जबरदस्ती निकला गया, बेइज्जत किया गया और इस दौरान यरुशलम के इलाके में अरब के मुस्लिम और क्रिश्चन भी साथ रहने लगे उन्होंने अपना घर बना लिया था, जो की साधारण है I अब समझना जरूरी ये है की यरुशलम क्रिश्चन, ज्यूज और मुस्लिम के लिए बहूत पवित्र है इसाई मानते है की जीसस (यीशुमसीह) को यहीं शूली पर चढ़ाया गया, ये जगह मुस्लिमो के लिए भी बहूत महत्वपुर्ण है क्योंकि की यहाँ पर उनकी अल-अक्सा मस्जिद है क्योंकि इस्लाम में मक्का और मदीना के बाद ये मस्जिद सबसे ज्यादा मुकद्दस मानी जाती है I ज्यूज मानते है की यहाँ जो मंदिर परसिया के राजा सायरस ने बनवाया था और जिसे रोमन सम्राट ने ध्वस्त कर दिया था उसकी एक दिवार बची रह गयी थी जिसे वेस्टर्न वाल कहा जाता है इसी वाल की पूजा यहूदी लोग करते है I इसीलिये तीनो धर्म के लोगो के लिए ये जगह बहूत महत्वपूर्ण है I तो मुद्दे पर वापस आते है साल 1492 में स्पेन से ज्यूज निकाले गये उस वक्त फिलिस्तीन का इलाका ममलुक सल्तनत के अधीन था फिर साल 1516 में फिलिस्तीन की ज़मींन ओटोमन साम्राज्य के नियन्त्रण में आ गयी ओटोमन साम्राज्य में सुन्नी मुस्लिमो को राज चलता था जो तुर्की से थे और ध्यान देने वाली बात ये हे की इस दौरान ज्यूज बहूत कम तादाद में थे लेकिन फिलिस्तीन के इलाके में रह रहे थे और कह सकते है की शांति से रह रहे थे I लेकिन पुरी दुनिया में उनके साथ भेदभाव होता था I माना जाता है की जीसस का जन्म एक ज्यूज परिवार में हुआ था और ज्यूज लोगों ने ही जीसस को शूली पर चढ़ाया था, इसलिए भी ज्यूज को कहीं देशों में मुश्किलों का सामना करना पड़ता था I इन परेशानियों से तंग आकर साल 1800 के आस पास पूरी दुनिया के ज्यूज लोग साथ आये और अपना खुद का एक देश बनाने का सोचने लगे इसी विचारधारा को ज्यूनिज्म (यहूदियत) कहा जाता है I साल 1897 में स्विट्जरलैंड में ज्यूनिस्ट कांग्रेस ओर्गेनाईज़ किया गया और तय किया गया की फिलिस्तीन के इलाके में वह अपना देश बनायेगे I इसके बाद धीरे-धीरे पूरी दुनिया से ज्यूज फिलिस्तीन के इलाके में बसने लगे I उधर फिलिस्तीन रह रहे अरब मुल्कों के बहूत से लोग भी ओटोमन इम्पायर से तंग आ चुके थे क्योंकि उन्हें भारी टेक्स देना पड़ता था I पूरा राज तुर्की से ही चला था तुर्की और अरबी मुस्लिमो की भाषां और संस्कृति में बहूत अंतर था तो वह अपने को अलग थलग महसूस करने लगे थे I साल 1914 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत होती है और ओटोमन इम्पायर के खिलाफ यूके और फ़्रांस लड़ रहे होते हैं I ये दोनों देश अरब के अलग-अलग समूह को जो ओटोमन इम्पायर से नाराज थे उनको बगावत के लिये उकसाते और साथ देते हैं और उनको सपने भी दिखाते है की ओटोमन इम्पायर की हार के बाद उन्हें आज़ादी मिलेगी और वो अपना एक अलग देश बना सकेंगे जिसे यूके और फ़्रांस साथ देंगे I  इसी दौरान यूके और फ़्रांस मिलकर एक दूसरा वादा करते है ज्यूज से की अगर ज्यूज कम्युनिटी जो पैसों से आनुमानिक मजबूत थी खासकर अमेरिका में अगर वो उनका साथ देते है तो अंग्रेज ज्यूज के लिए फिलिस्तीन इलाके में एक अलग देश की मांग का समर्थन देगें और एक अलग देश बनवा देंगे I अरब के समूह ने भी ब्रिटिश और फ़्रांस का साथ दिया और ज्यूज ने भी I कहीं ज्यूज तो बाक़ायदा सेना में भर्ती भी हुए, रिलीफ केम्पस लगाये, पैसे दिए ज्यूज ने हर तरह से साथ दिया I कही कोम्प्रेसिविस्ट ये भी कहते है की ज्यूज ने अमेरिका पर दबाव भी बनाया था प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के लिए I हो सकता हो कोशिश की हो लेकिन अमेरिका अपने फायदे को देखते हुए साल 1917 में खुलकर प्रथम विश्व युद्ध में शामिल हुआ था I उससे पहले साल 1916 में अग्रेजों और फ्रेंच ने मिलकर Sykes-Picot Agreement कर लिया था उसमे लिखा था की युद्ध जितने के बाद मिडिल ईस्ट (मध्य पूर्व) को आपस में बाँट लेंगे मतलब दोनों देश बाँट लेंगे I मक्कारी कि हद की इन्तेहा देखिये की जीतने के बाद ना तो अरब देश के लोगों से वादा निभाया और ना ही ज्यूज लोगों से फिलिस्तीन का अपना वादा पूरा किया बल्कि खुद ने ही बाँट लिया I और राज करने लगे लेकिन ज्यूज ने एक तरह से मान लिया था की फिलिस्तीन उनका ही है और ज्यूज लोग वहां बसने लगे इससे वहां अरब मुल्क के जो लोग रह रहे थे इनमे नाराजगी बढ़ी उस वक्त दुनिया में बहूत कुछ चल रहा था I प्रथम विश्व युद्ध के बाद दुनिया को सम्भलने में ही कुछ वक्त लगा लेकिन तब ही द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया I और ज्यूज के खिलाफ यूरोप में बहूत ज्यादा जुल्म होता है, उनको मारा पिटा जाता है, हिटलर उन पर बेइंतेहा जुल्म करता है I ज्यूज को लगता है की इनका अपना दुनिया में कोई है मुल्क है ही नही जहाँ वह जाकर रह सके और इसीलिए वह फिलिस्तीन को ही अपना घर मान के वहाँ बसने लगते है I साल 1914 में प्रथम विश्व युद्ध के समय ज्यूज की आबादी फिलिस्तीन में 10 प्रतिशत तक के आस-पास थी, लेकिन साल 1947 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद फिलिस्तीन के इलाके में ज्यूज की आबादी 33 प्रतिशत के आस-पास हो गयी I द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ यूके और उसके साथ के देश जीते लेकिन युद्ध और खर्चे से अंग्रेज परेशान हो चुके थे I द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया काफी तेजी से बदल रही थी साल 1947 में हमारा देश भी आज़ाद हुआ था I लेकिन अंग्रेज फिलिस्तीन का क्या करेंगे ये उनको समझ नही आ रहा था क्योंकि किसी देश को गुलाम बनाये रखने के लिए भी पैसे, सेना अन्य संसाधन चाहिए होते हैं I लेकिन दौर बदल रहा था द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सभी पश्चिमी देश अपने आप को पाक साफ, मनुवाद के साथ खड़े रहने वाले देश के रूप में दिखावा कर रहे थे I साल 1945 में यूनाइटेड नेशन बनाया गया था ताकि एसे युद्ध दुनिया में दुबारा ना हो और सभी देश अपनी बात रख सके I बातचीत के साथ मसले सुलझाये जा सके I ज्यूज पर भयंकर अत्याचार हुआ था तो उनकी माँग थी की उनका कोई एक अपना देश होना चाहिए I उधर अरब जो उस इलाके में पहले से रह रहे थे उनका कहना था अरब देश बनाने का जो वादा किया था यूके और फ्रांस ने तो हमने उनका साथ दिया था अब तो हमारे साथ धोखा हुआ है I ज़मीन हमारी है I अरब देश तो छोड़ो ये लोग अब तो बाहरी लोगों को हमारी जमीन पर बसा रहे हैं I उनका कहना था की हमने थोड़ी किया है उन पर अत्याचार तो हम क्यों उनकी कीमत चुकाएं I लेकिन ब्रिटिश ने फिलिस्तीन को ज्यूज नेशनल होम घोषित कर दिया था अब यूएन ने सोचा की एसा क्या हल निकला जाये तो उन्होंने कमेटी बनाई और प्लान ऑफ़ फिलिस्तीन के तहत फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बाँट दिया एक हिस्सा ज्यूज के लिए जिसका नाम इजराइल होगा और दूसरा हिस्सा अरब के मुस्लिमों के लिए जिसका नाम फिलिस्तीन होगा I क्योंकि यरुशलम ज्यूज, मुस्लिम, इसाई तीनो के लिए बहूत महत्वपूर्ण है इसलिए उस पर यूएन का सीधा नियन्त्रण रहेगा लेकिन हमारे भारत देश ने उस वक्त इस प्लान को समर्थन नही दिया I भारत चाहता था की एक फेडरल स्टेट (संघीय राज्य) बने मतलब की देश एक ही हो उसमे राज्य अलग-अलग हो अधिकार / सत्ता / शाशन सिर्फ केंद्र के पास ना हो और भारत ही नही यूएन के इस टू स्टेट के प्लान को अरब मुस्लिमों और बाकि अरब मुस्लिम देशो ने इस प्लान को नही मान था I उनके मुताबिक ये पश्चिमी देशों का एक सोचा समझा प्लान है वो चाहते हैं की मिडिल ईस्ट में उनका एक प्यादा रखेंगे जिससे वे मिडिल ईस्ट को नियन्त्रण कर सके, उस पर दबाव बनाये रख सके इसलिए उन्होंने इसे पूरी तरह से नकार दिया था I तो ज्यूज पर अत्याचार किसने किये वेस्टर्न नेशन ने I फिलिस्तीन के अरब मुस्लिमों से झूठा वादा किसने किया वेस्टर्न नेशन ने I फिलिस्तीन को ज्यूज का होमलैंड किसने बनाया वेस्टर्न नेशन ने I तो गलती किसकी हुई वेस्टर्न नेशन की और इस गलती की सजा किसे मिल रही है फिलिस्तीनियों को 29 नवम्बर 1947 को पार्टीशन प्लान यूएन में पास हुआ और अगले ही दिन यानि 30 नवम्बर 1947 को फिलिस्तीन, अरब लड़ाके और ज्यूज लड़ाकों के बीच भयंकर जंग छिड जाती है ज्यूज लड़ाकों के पास बढ़िया हथियार होते हैं और वे बेहतरीन प्रशिक्षित भी होते हैं क्योंकि 1920 से ही पूरी दुनिया के ज्यूज मिलकर इजराइल बनाने का प्रयास कर रहे थे और उन्होंने एक पेरामेलेट्री ओर्गेनाईजेशन बनाई थी जिसका नाम था हगेना था I जो ज्यूज फोजी रह चुके थे, युद्ध लड़ चुके थे उन्होंने बाकि के ज्यूज को प्रशिक्षित किया विदेशों से हथियार मंगवाए फिलिस्तीन के इलाके में पूरी दुनिया के ज्यूज को गुसाया उनकी मदद की और अपनी कम्युनिटी की रक्षा करने लगे I इसके अलावा उन्हें पश्चिमी देशों का समर्थन भी था I तो साल 1947 की लड़ाई में ज्यूज लडाके भारी पड़ते है लगभग 6 महीने बाद 14 मई 1948 को इजराइल अपने आप को एक स्वतंत्र देश घोषित कर देता है और बाकी अरब देश उस पर हमला कर देते है I लेकिन इजराइल अकेले ही सभी अरब देशों को हरा देता है I जाहिर है की इसमें दुनिया के दुसरे ताकतवर देशों ने उसका साथ दिया अमेरिका ने उसको हथियार दिये, यूके ने युद्ध का प्रशिक्षण दिया, फ़्रांस ने भी सहायता की और यूएन के पार्टीशन प्लान के 55 प्रतिशत से भी ज्यादा फिलिस्तीन की 78 प्रतिशत जमीन पर इजराइल कब्जा कर लेता है I इस जंग के बाद लगभग 7 लाख फिलिस्तीनियों को बेघर होना पड़ता है इसे फिलिस्तीन नकबा या तबाही कहा जाता है I यही जंग नकबा जंग है इस खबर को लिखने की रिसर्च के दौरान इलान पाप्पे की एक किताब The ETHNIC CLEANSING of PALESTINE को पढने के बाद महसूस हुआ की किस तरह फिलिस्तीन के लोगों पर कहर बरपाया गया था I यरुशलम के पास में एक गाँव था डियर यासीन वहां गाँव के मासूम लोगों को एक सुबह इजराइल के सेनिकों ने गोलियों से भुन डाला था वहां पर मौजूद औरतों, बच्चों, बुजुर्गों को गोलियों से भुना जाता है I महिलाओं के साथ रेप किया जाता है I इस घटना के बाद बहूत सारे फिलीतीनी घर छोड़ कर चले जाते हैं और 9 साल के बाद अरब देशो का वो शक भी सच साबित हो जाता है की इजराइल को बनाना एक सोचा समझा प्लान था पश्चिमी देशों का I  


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